22 Feb आईवीएफ उपचार क्या है? – प्रक्रिया, रिस्क और सक्सेस रेट (TEST TUBE BABY IN HINDI)
आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाशय से मेच्योर अंडे को बाहर निकाला जाता है और उसे लैब में पुरुष के वीर्य के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। इसे पात्रे निषेचन और टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है।
आईवीएफ क्या है? – What Is IVF In Hindi?
जब अंडा फर्टिलाइज हो जाता है और उसमें भ्रूण (embryo) का निर्माण हो जाता है तब उसे एडवांस उपकरणों की मदद से महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। जिसे इम्प्लांटेशन कहते हैं।
इम्प्लांटेशन विफल न हो इसलिए, महिला को कुछ ख़ास किस्म की दवाइयाँ दी जाती हैं और समय-समय पर डॉक्टर से जाँच करवाने को भी कहते हैं। 9 महीने बाद महिला प्राकृतिक रूप से एक बच्चे को जन्म देती है
आईवीएफ उपचार कराने के कारण – Causes Of IVF Treatment
जब किसी कारण वश महिला प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण न कर कर पा रही हो तब टेस्ट ट्यूब बेबी की जरूरत होती है। आइये जानते हैं कि किन परिस्थितियों में आईवीएफ के जरिए बच्चा पैदा करने की सलाह दी जाती है।
- फैलोपियन ट्यूब के क्षतिग्रस्त हो जाने पर (fallopian tube damage) – जब किसी कारण वश फैलोपियन ट्यूब डैमेज हो जाती है तब अंडे तक स्पर्म पहुँचने या एम्ब्रियो को गर्भाशय तक पहुँचने में परेशानी होती है और इस वजह से आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी एक अच्छा आप्शन होता है।
- ओवुलेशन में गड़बड़ी होने पर- पीरियड्स में अनियमितता होने के कारण ओवुलेशन पीरियड में भी गड़बड़ी हो सकती है। कुछ हार्मोनल दवाइयों को देकर अंडे का उत्पादन किया जाता है और उसे अंडाशय से निकालकर लैब में फर्टिलाइज किया जाता है।
- इंडोमेट्रिओसिस (endometriosis) – यह एक ऐसी समस्या है जिसमें यूटेराइन टिश्यू युटेरस (गर्भाशय) के दीवार के बाहर बढ़ने लगती है। इससे फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और अंडाशय के कार्य में अड़चन होती है, फलस्वरूप गर्भधारण में परेशानी होती है।
- यूटेराइन फाइब्रॉयड्स (uterine fibroids) – जब गर्भाशय की दीवार में गाँठ हो जाती है तो उसे यूटेराइन फाइब्रॉयड्स कहते हैं। इससे इम्प्लांटेशन के समय परेशानी होती है और महिला गर्भवती नहीं हो पाती है। इस स्थिति में भी Test Tube baby या In Vitro fertilization in Hindi मददगार होता है।
- ट्यूब कटवा देने पर – अगर आप बच्चा न होने के लिए फैलोपियन ट्यूब कटवा चुकी हैं और बाद में बच्चा चाहती हैं तो ऐसी स्थिति में आपको गर्भवती करने के लिए आईवीएफ का इस्तेमाल किया जाता है।
- स्पर्म की गुणवत्ता खराब होने पर – कई बार महिला इसलिए गर्भवती नहीं हो पाती है क्योंकि, उसके पार्टनर के स्पर्म की मोलालिटी (molality) और क्वालिटी (quality) अच्छी नहीं होती है। ऐसे में डोनर स्पर्म की मदद से महिला के अंडे को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। हालांकि, शुक्राणु दोष में आईयूआई एक उचित उपचार है।
- अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी (unexplained infertility) – जब इनफर्टिलिटी का कोई कारण न पता चले और महिला फिर भी गर्भवती न हो तो उस स्थिति को अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी कहते हैं। इसमें महिला और पुरुष कोई भी हो सकता है।
आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया
आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया 5 चरणों में पूरी होती है।
- स्टिमुलेशन (stimulation)
- एग रिट्रीवल (egg retrieval)
- इनसेमिनेशन (insemination)
- एम्ब्र्यो कल्चर (embryo culture)
- ट्रान्सफर (Transfer)
स्टिमुलेशन (stimulation)
सामान्य तौर पर हर महिला महीने में एक अंडे का उत्पादन करती है। टेस्ट ट्यूब बेबी के सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए डॉक्टर को कई अण्डों की आवश्यकता होगी। इसके लिए डॉक्टर विशेष प्रकार के इंजेक्शन या दवाइयों की मदद से अंडाशय में कई अंडे को उत्पन्न करेंगे। इस दौरान डॉक्टर नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट करेंगे और जिस समय ये अंडे बाहर निकालने लायक होंगे तब आपको एग रिट्रीवल करवाने के लिए कहेंगे।
एग रिट्रीवल ( egg retrieval)
इस प्रक्रिया में डॉक्टर आपके अंडाशय से अंडे बाहर निकालेंगे। सबसे पहले आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया जाएगा। इसके बाद डॉक्टर एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड (abdominal ultrasound) या ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (transvaginal ultrasound) की मदद से आपके अंडाशय को देखेंगे। अब एक सक्शन डिवाइस जिसके अंत में सुई लगा होगा की मदद से अंडे निकाले जाएंगे और उन्हें फालिकल से अलग कर दिया जाएगा।
इनसेमिनेशन (insemination)
अब डॉक्टर आपके पार्टनर या डोनर स्पर्म को लेकर पेट्री डिश (petry dish) के अंदर अंडे और को मिक्स करेंगे। इस मिक्सचर को डॉक्टर एक निश्चित तापमान में रखेंगे ताकि अंडा फर्टिलाइज हो सके। अगर फिर भी अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है और भ्रूण (embryo) का निर्माण नहीं होता है तो फर्टिलाइज करने के लिए ICSI की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
एम्ब्र्यो कल्चर (embryo culture)
आईवीएफ उपचार के इस चरण में डॉक्टर फर्टिलाइजेशन के लिए रखे गए सभी अंडे की जांच करते हैं और जब भ्रूण का निर्माण हो जाता है तब सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण को ट्रान्सफर के लिए तैयार करते हैं।
ट्रान्सफर (Transfer)
सबसे स्वस्थ भ्रूण का चयन करके डॉक्टर भ्रूण को गर्भाशय में ट्रान्सफर करते हैं। इसके लिए वो कैथेटर नाम की एक विशेष ट्यूब का इस्तेमाल करते हैं। यह ट्यूब योनि मार्ग से गर्भाशय तक डाली जाती है और इसकी मदद से एम्ब्र्यो यानी भ्रूण को अंदर भेज दिया जाता है और महिला धीरे-धीरे प्राकृतिक प्रसव के लिए तैयार होती है।
आईवीएफ उपचार की क्या जटिलताएं हैं? – Complications Of IVF In Hindi
- एक से अधिक गर्भावस्था (multiple pregnancy) – प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए डॉक्टर गर्एभाशय में एक से अधिक भ्रूण को इम्प्लांट करते हैं, यदि दोनों भ्रूण इम्प्लांट हो गए और उनका विकास होने लगा तो यह मल्टीपल प्रेगनेंसी का कारण बन सकता है।
- समय से पहले जन्म- समय से पहले डिलीवरी हो सकती है या फिर जन्म के दौरान बच्चे का स्वास्थ्य बहुत कमजोर हो सकता है।
- मिसकैरेज- हालांकि, यह बहुत कम महिलाओं में देखने को मिलता है। अगर महिला की उम्र ज्यादा है तो यह समस्या देखने को मिल सकती है।
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी- टेस्ट ट्यूब बेबी के जरिए गर्भवती होने का एक और रिस्क एक्टोपिक प्रेगनेंसी भी है। इसमें भ्रूण का निर्माण गर्भाशय के बाहर और फैलोपियन ट्यूब के अन्दर होने लगता है। फैलोपियन ट्यूब में कोई भी भ्रूण सही-सलामत बच्चे के रूप में नहीं निकल सकता है। इसलिए, आईवीएफ के बाद डॉक्टर के कहने पर समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए।
- बर्थ डिफेक्ट- आईवीएफ के जरिए पैदा होने वाले बच्चे में शारीरिक या मानसिक विकार भी हो सकते हैं।
- कैंसर- आईवीएफ(IVF) वाली गर्भावस्था में ओवरी में ट्यूमर यानी अंडाशय में गाँठ होने की संभावना भी बनी रहती है।
- तनाव- आईवीएफ की प्रक्रिया का खर्च अधिक होता है। अगर यह फेल हो जाता है तो महिला को तनाव हो सकता है। इसके अलावा इसके फेल होने की चिंता महिला को गर्भावस्था के दौरान भी हो सकती है।
आईवीएफ का सक्सेस रेट क्या है? – Success Rate Of IVF In Hindi?
टेस्ट ट्यूब बेबी का सक्सेस रेट कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे- महिला की उम्र, डॉक्टर का एक्सपीरियंस, महिला का स्वास्थ्य आदि। आमतौर पर इसका सक्सेस रेट 40 से 50 प्रतिशत होता है।
आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स क्या हैं? – Test Tube Baby Side Effects In Hindi?
टेस्ट ट्यूब बेबी के जरिए गर्भधारण करने के बाद कुछ साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं, जो इस प्रकार से हैं-
- प्रक्रिया के तुरंत बाद योनि से तरल पदार्थ निकलता है। यह आम बात है जो लगभग हर महिलाओं के साथ होता है।
- एस्ट्रोजन (estrogen) की मात्रा बढ़ जाने के कारण स्तन कोमल हो जाना
- पेट फूलना
- पेट में एंठन
- कब्ज की शिकायत
- शरीर के कुछ हिस्से भी सूज सकते हैं
आईवीएफ के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के बाद 12 से 14 दिन बाद डॉक्टर आपको क्लिनिक में बुला सकते हैं और गर्भावस्था की जांच करेंगे।
- अगर आप गर्भवती हैं तो डॉक्टर आपको सभी प्रकार की सावधानियां बताएंगे और आपके गर्भ में शिशु के निर्माण में कोई अड़चन न हो इसलिए, कई प्रकार की दवाइयाँ दे सकते हैं।
- अगर आप गर्भवती नहीं है तो उसकी जांच करेंगे और कंडीशन के मुताबिक़ नेक्स्ट अपॉइंटमेंट देंगे। इसके अलावा अगर गर्भ धारण नहीं हो पाता है तो आपके मासिक धर्म को दोबारा से सही करने के लिए प्रोजेस्टेरोन (progesterone) का सेवन बंद करने को कहेंगे। जैसे ही प्रोजेस्टेरोन का डोज बंद होगा एक सप्ताह के भीतर आपके पीरियड्स आ जाएंगे।
आईवीएफ के दौरान सावधानियाँ
यदि आप आईवीएफ उपचार करवा रही हैं तो आपको निम्न सावधानियों का पालन करना पड़ेगा:-
- डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी बातों का निष्ठापूर्वक पालन करना।
- दवाइयों का डोज न मिस करें।
- खान-पान में विशेष ध्यान दें, अपने फर्टिलिटी विशेषज्ञ से एक डाइट चार्ट बनवा लें।
- डॉक्टर द्केवारा निर्धारित दवाओं के अलावा किसी भी दवा का सेवन न करें या उपयोग करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
- गर्म तापमान में न जाएँ।
- बीच-बीच में डॉक्टर से जाकर भ्रूण के विकास की जाँच करवाते रहें।
Aurawomen करेगा मदद
हमारे पास अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ की एक बड़ी टीम है जो आईवीएफ उपचार के दौरान हर प्रक्रिया में हर चीजों का खास ख्याल रखते हैं, जिससे हमारी सफलता दर अधिक होती है।
यदि आपका उपचार बिना आईवीएफ के हो सकता है तो आपकी अवस्था के अनुसार हमारे डॉक्टर आपको उपचार की सबसे अच्छी सलाह देंगे।
यदि आप चाहते हैं कि आपकी पूरी आईवीएफ साइकिल में महिला का पूरा ध्यान रखा जाए और उपचार के दौरान कोई गड़बड़ी न हो एवं अच्छी सफलता दर रहे तो आप Aurawomen में अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं या कॉल कर सकते हैं। दोनों ही बिल्कुल फ्री हैं।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|
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